तहसील के सामने नुआखाई पर पीड़ित बैठा आमरण अनशन पर, मामला डबरी घोटाला….? कागज़ों में बनी तालाब, हक़दार भूखा बेहाल

रायगढ़। मनरेगा योजनाओं की हकीकत का पर्दाफाश लैलूंगा में हुआ है। नवीन कुंजारा निवासी नरेश गुप्ता का आरोप है कि उनके नाम पर ग्राम पंचायत ने फर्जी डबरी निर्माण दिखाकर ₹1,35,000 की राशि हड़प ली, जबकि जमीन पर एक इंच भी काम नहीं हुआ।

ग्राम पंचायत कुंजारा में हितग्राही नरेश गुप्ता के नाम से मनरेगा के तहत फर्जी डबरी निर्माण कार्य दर्शाकर लाखों का घोटाला किए जाने का मामला सामने आया है। डबरी निर्माण कार्य 04-05-2024 को स्वीस्त हुआ। जिसका स्वीकृति क्र. AS 11064 है। पीड़ित नरेश गुप्ता ने डबरी निर्माण फर्जीवाड़ा की शिकायत 25/04/25 को मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत लैलूंगा एवं 21.04.25 को कार्यक्रम अधिकारी को दिया लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई जिसके बाद 05-05-2024 को पीड़ित ग्रामीण ने अनुविभागीय अधिकारी से ज्ञापन सौंपकर कार्यवाही की मांग की परंतु यहां भी उन्हें न्याय नहीं मिल पाया। जिसके बाद नरेश गुप्ता ने पुनः 17/08/2025 को एसडीएम को ज्ञापन दिया गया फिर भी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई तो पीड़ित में प्रदेश के वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी तक अपनी व्यथा पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई लेकिन हर बार की तरह मंत्री जी को शिकायत पत्र के बाद भी मामले में कोई कार्रवाई न होता देख पीड़ित ने 28 अगस्त 2025 से आमरण अंतिम शुरू करने हेतु लैलूंगा थाना और एसडीएम न्यायालय में ज्ञापन दिया था। न्याय की आस टूटने पर नरेश गुप्ता ने नवा खाई के दिन तहसील कार्यालय लैलूंगा के सामने आमरण अनशन शुरू कर दिया। त्योहार की खुशियां छोड़कर भूखों बैठा यह संघर्ष अब प्रशासन और सरकार के लिए गहरे सवाल खड़ा कर रहा है। सरकारी तंत्र की यह लापरवाही बताती है कि योजनाएं गरीबों के लिए नहीं, बल्कि भ्रष्टाचारियों की तिजोरी भरने का ज़रिया बन गई हैं।

कागज़ों पर तालाब खोदा गया, जमीन पर मिट्टी भी नहीं हिली – लेकिन सरकारी खजाना ज़रूर खाली हो गया। अब सवाल यह है कि जब मंत्री तक शिकायत पहुंचने पर भी कार्रवाई न हो, तो गरीब न्याय के लिए और कहां जाए?

आज लैलूंगा का भूखा बैठा यह इंसान सिर्फ अपने लिए नहीं, बल्कि उस पूरे तंत्र के खिलाफ आईना है, जिसमें जनता का पसीना सूखता है और अफसरों की जेबें भीगती हैं।

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